PM Modi की फ्रांस यात्रा, राफेल लड़ाकू विमान और स्कॉर्पीन पनडुब्बी डील पर अंतिम मुहर?
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PM Modi फरवरी में फ्रांस की यात्रा कर सकते हैं। इस दौरान भारत और फ्रांस के बीच दो बड़े रक्षा समझौते अंतिम चरण में पहुंचने की संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी को 10-11 फरवरी को फ्रांस में आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। इसके साथ ही द्विपक्षीय वार्ता भी आयोजित होने की संभावना है।
10 अरब डॉलर की रक्षा डील
फ्रांस दौरे के दौरान भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन क्लास पारंपरिक पनडुब्बियों की डील लगभग तय मानी जा रही है। इन दोनों रक्षा सौदों की कुल लागत $10 अरब डॉलर से अधिक बताई जा रही है। इन सौदों को अगले कुछ हफ्तों में कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) से मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है।
भारतीय नौसेना के लिए 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल-एम लड़ाकू विमानों को खरीदा जाएगा। ये विमान नौसेना की मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करेंगे, जब तक कि स्वदेशी ट्विन-इंजन डेक-आधारित फाइटर विमान विकसित नहीं हो जाता।
स्कॉर्पीन पनडुब्बियां और भारतीय नौसेना का भविष्य
इस डील में स्कॉर्पीन क्लास की तीन अतिरिक्त पनडुब्बियों का निर्माण भी शामिल है। इन पनडुब्बियों का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और फ्रांस के नेवल ग्रुप के सहयोग से किया जाएगा। यह डील भारतीय नौसेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि नौसेना की वर्तमान पनडुब्बी फ्लीट पुरानी हो चुकी है और नए पनडुब्बियों की खरीद में देरी हो रही है।
स्कॉर्पीन क्लास की अंतिम पनडुब्बी, वागशीर, को 15 जनवरी को मुंबई में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में कमीशन किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में दो महत्वपूर्ण अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें DRDO द्वारा विकसित एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) मॉड्यूल और हेवीवेट टॉरपीडो का एकीकरण शामिल है।
भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत और राफेल-एम की भूमिका
भारतीय नौसेना वर्तमान में दो विमानवाहक पोतों का संचालन करती है – रूस से खरीदा गया आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी आईएनएस विक्रांत, जिसे सितंबर 2022 में कमीशन किया गया था। इन पोतों के लिए राफेल-एम लड़ाकू विमानों की खरीद बेहद आवश्यक है, ताकि इनकी युद्ध क्षमता को और मजबूत किया जा सके।
फ्रांस के साथ सामरिक साझेदारी को नई ऊंचाई
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग और सामरिक साझेदारी को नई ऊंचाई मिलेगी। फ्रांस ने हाल ही में अपनी शक्तिशाली हथियार प्रणाली और नौसेना बलों को भारत में प्रदर्शित किया है। फ्रांसीसी नौसेना (मरीन नैशनल) ने अपने परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत, राफेल-एम लड़ाकू विमान, ई-2सी हॉकआई और एस्कॉर्ट फ्रिगेट के साथ भारत का दौरा किया।
फ्रांस के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने गोवा में भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त नौसैनिक और वायु अभियानों का अभ्यास किया। यह अभ्यास अरब सागर और हिंद महासागर क्षेत्र में किया गया। भारतीय नौसेना और फ्रांसीसी नौसेना के इस सहयोग से दोनों देशों के बीच आपसी रक्षा साझेदारी को और मजबूती मिली है।
प्रोजेक्ट 75I में देरी और स्कॉर्पीन की अहमियत
भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75I के तहत छह नई पनडुब्बियों की खरीद में हो रही देरी के कारण स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का महत्व और बढ़ गया है। स्कॉर्पीन पनडुब्बियां नौसेना की वर्तमान जरूरतों को पूरा करने में सहायक होंगी। इनमें अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है, जो दुश्मन के हमलों को विफल करने में सक्षम हैं।
रक्षा समझौतों का रणनीतिक महत्व
राफेल-एम और स्कॉर्पीन डील न केवल भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करेंगी, बल्कि भारत-फ्रांस के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी को भी दर्शाएंगी। फ्रांस और भारत के बीच इस तरह के रक्षा सहयोग का उद्देश्य केवल हथियार खरीदना नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक तकनीकी सहयोग और क्षमता निर्माण भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग और सामरिक साझेदारी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। राफेल-एम लड़ाकू विमानों और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद से भारतीय नौसेना की ताकत और आधुनिकता में इजाफा होगा। साथ ही, यह यात्रा दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को और सुदृढ़ करेगी।
भारत और फ्रांस की यह साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि वैश्विक सामरिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है। रक्षा सौदों और सामरिक साझेदारी के माध्यम से भारत अपनी सुरक्षा और सामरिक हितों को और अधिक सुरक्षित कर सकेगा।